A poem from our childhood days.. It reminds my absolute non-sense questions... :)
ये बात समझ में आई नहीं,
और किसी ने समझाई नहीं..
मैं कैसे मीठी बात करूँ,
जब मीठी चीज़ कोई खाई नहीं,
ये चंदा कैसे मामा है,
जब मम्मी का वो भाई नहीं,
क्यूँ लम्बे बाल हैं भालू के,
क्यूँ उसकी trimming कराइ नहीं,
क्या वो भी गन्दा बच्चा है,
या जंगल में कोई नाइ नहीं,
समंदर का रंग कयूँ नीला है,
जब नील किसी ने मिलाई नहीं,
जब स्कूल में निन्नी आती है,
क्यों बेड वहां रखवाई नहीं,
ये बात समझ में आई नहीं
और किसी ने समझाई नहीं ... :(
बाल सुलभ सोच लिए एक प्यारी रचना....
ReplyDeleteहूँ...मुझे भी नहीं समझ आती कई बातें.....
ReplyDeleteSo cute.. lovely n innocent thoughts !!!
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