हर ख़ुशी है लोगों के दामन में,
पर एक हंसी के लिए वक़्त नहीं |
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
जिंदगी के लिए भी वक़्त नहीं |
माँ की लोरी का एहसास तो है,
पर माँ को माँ कहने का वक़्त नहीं |
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफनाने का भी वक़्त नहीं |
गैरों की क्या बात करें,
जब अपनों के लिए ही वक़्त नहीं |
आँखों में है नींद बड़ी,
पर सोने के लिए वक़्त नहीं |
दिल है घावों से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक़्त नहीं |
पैसो की दौड़ में ऐसे दौड़े,
की थकने के लिए भी वक़्त नहीं |
तु ही बता ऐ जिंदगी,
की इस जिंदगी का क्या होगा ??
की हर पल मरने वालों को,
जीने के लिए भी वक़्त नहीं !!
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